रक्षा बंधन का यह पवित्र पर्व इस बार सिर्फ पौने तीन घंटे तक ही मनाया जा सकता है। यानी आप पौने तीन घंटे के बीच ही अपने भार्इ की कलार्इ को अपनी प्यारी-प्यारी राखियों से सजा सकते हैं। सुबह भद्रा और फिर चंद्रगहण का सूतक लगने से यह स्थिति बन रही है। दरअसल इस बार रक्षा बंधन का यह त्योहार सात अगस्त को पड़ रहा है और इसी दिन चंद्रगहण भी है। सुबह भद्रा होने और इसके बाद चंद्र ग्रहण का सूतक लगने से रक्षाबंधन पर यह स्थिति बन रही है।
चंद्र ग्रहण लगभग एक घंटे 57 मिनट रहेगा। आचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि रक्षाबंधन के लिए सुबह 11:05 बजे तक भद्रा है। भद्रा में भाई को राखी नहीं बांधी जाती है। दोपहर 1:52 बजे चंद्र ग्रहण का सूतक चल रहा है और सूतक में भी रक्षाबंधन पर्व नहीं मनाया जा सकता। इसलिए सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:52 बजे तक यानी लगभग पौने तीन घंटे ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकेगा। वहीं माना जा रहा है कि इस ग्रहण के चलते समुद्र में भी उथल-पुथल आदि के योग बन रहे हैं, जिससे समुद्री इलाकों में जन-धन की हानि हो सकती है। इसका असर ग्रहण के दिन या उसके एक-दो दिन में देखने को मिल सकता है।
पंडित डॉ. नीरज जोशी के मुताबिक ग्रहण काल के दौरान ईष्ट देवता की आराधना, जप, धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन, भजन-कीर्तन, आदि कार्य करना चाहिए। इनका विशेष फल प्राप्त होता है। ग्रह पीड़ा होने पर इसके निवारण के लिए जप, दान आदि करें। डॉ. नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि इसबार पड़ने वाला चंद्र ग्रहण मेष, सिंह, वृश्चिक, मीन राशि वालों के लिए शुभ है, जबकि वृष, कर्क, कन्या और धनु के लिए सामान्य और मिथुन, तुला, मकर, कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ है। उनका कहना है कि जिनके लिए यह अशुभ है वह ग्रहण ना देखें, वैसे तो ग्रहण देखने से सभी को बचना चाहिए।
पंडित डॉ. गोपाल दत्त त्रिपाठी के मुताबिक गर्भवती स्त्री ग्रहण काल में घर से बाहर न निकलें। बुजुर्ग, बच्चे और रोगी को छोड़ ग्रहण काल के दौरान भोजन न करें। मन में किसी प्रकार का दुर्विचार न आने दें साथ ही रात्रि में भ्रमण ना करें।